मित्रों, यदि आप अपने पड़ोसी या आस पास रह रहे किसी ऐसे व्यक्ति जो तेज़ आवाज़ में लाउडस्पीकर के द्वारा गाने बजाकर अशांति उत्पन्न कर रहा है; उससे परेशान हैं तो चिंता त्याग दीजिये क्यूंकि मैं आपको ऐसी युक्ति बताने जा रहा हूं जिससे आपका पड़ोसी बिलकुल शांत हो जायेगा और किसी को पता भी न लगेगा कि इसके पीछे हाथ आपका है।
आपको, मैं अपना खुद का अनुभव बताऊंगा जिसमें मैंने एक ऐसे ही व्यक्ति को शांत कराया था और उसे इसके दुष्परिणाम समझा पाया। आज वो ये सब बिलकुल भी नहीं करता है और शांति का माहौल कायम रखने में सहयोग करता है।
तेज़ ध्वनि/लाउडस्पीकर से क्या तकलीफें होती है?
मित्रों, तेज़ आवाज में इस तरह से गाने बजाने या अन्य कोई संगीत, ध्वनि सामग्री बजाने से अशांति उत्पन्न होती है। इसकी वजह से लोग काम में पूर्ण रूप से ध्यान नहीं लगा पाते हैं और बारीकी या एकाग्रता की ज़्यादा ज़रूरत वाले कामों को करने में बहुत तकलीफ होती है।
अगर कोई व्यक्ति कोई बीमारी झेल रहा हो, खासकर जैसे हार्ट अटैक, सिर दर्द, या जोकि न्यूरो, ब्लड प्रेशर, सेंसरी ऑर्गन आदि से संबंधित हो तो उसके लिए यह तकलीफ चार गुना हो जाती है।
लाउडस्पीकर से कुछ अन्य नुक्सान यहाँ से भी समझे जा सकते हैं।
आखिर मैंने शांत कैसे किया – निवारण?

दोस्तों, भारतीय संविधान में ऐसे कई कानून हैं जिनके तहत इस तरीके से समाज में अशांति व शोरगुल करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। तो, करना कुछ खास नहीं, बस एक पुलिस कंप्लेंट ही है, लेकिन तरीका विशिष्ट है। मैंने कंप्लेंट का तरीका और अनुभव ही बताने के लिए यह पोस्ट डाला है। विशिष्टता यह है कि इस तरीके से उस व्यक्ति से आपका व्यवहार खराब होने से बच जायेगा और आपका खर्चा भी कुछ न होगा। परिणाम भी 100% शत-प्रतिशत मिलने की पूरी सम्भावना है।
मैं भी यही चाहता हूं सम्पूर्ण भारत वर्ष हर पहलू में प्रगति पर हो। फिर चाहे वो बात ध्वनि प्रदूषण शांत कराने की हो या असहाय का साथ देने की हो, मैं तो अपना पूरा सहयोग करूँगा।
अगर जो व्यक्ति गाने बजा रहा हो या ध्वनि प्रदूषण कर रहा हो, उससे आपके अच्छे संबंध हों, तो पहले उससे शांति से बात कर लें। लेकिन बातों से यह नहीं झलकना चाहिए कि तकलीफ आपको हो रही है। आप अपनी बात को इस तरह रखें कि सामने वाले को यह महसूस हो कि तकलीफ आपको नहीं बल्कि समाज के अन्य दर्जन भर लोगों को हो रही है और उससे उसकी छवि ख़राब हो सकती है।
अगर तब भी न मानें, तो चुप चाप पुलिस स्टेशन जाएं और कंप्लेंट/शिकायत पत्र दे दीजिए। बस जो शिकायत पत्र रिसीव करे; उस अफसर से यह कह दीजिएगा कि श्रीमान/श्रीमती मेरा नाम न बाहर निकले या किसी को पता न चले।
यही सेम चीज़ आप यदि डायल 112 या 100 करके कहेंगे तो भी चलेगी परंतु यह जो आईवीआर/ हॉटलाइन सर्विसिज होती हैं, इनका ढंग कुछ ऐसा होता है कि इस तरह की शिकायत के लिए पहचान गुप्त नहीं रह पाती है। हालांकि, समय-समय की बात है, हो सकता हो आपका काम इसी से बन जाये। इसलिए मैं आपको इन नंबर पे कॉल करके शिकायत दर्ज कराने की सलाह बिलकुल भी ना दूंगा।
अब आगे बढ़ते हैं, तब भी अगर काम न बने तो किसी ऐसे विश्वासी को तलाशिए जिसकी थाने/कोतवाली में जान पहचान हो, उसके साथ मिलकर शिकायत पत्र दें और अफसर से कह दें कि बतौर शिकायतकर्ता मेरी पहचान गुप्त रहे।
अफसर से मुकदमे के लिए शुरुआती तौर पे मना कर दीजिएगा अन्यथा शोर मचाने वाले को जेल हो सकती है। और तब आपकी पहचान भी गुप्त नहीं रह जायेगी।
मेरी राय तो यही है कि जब कोई विकल्प ना बचे, मुकदमे के लिए तभी जाइएगा।
बाकी, अब आप बैठिए और तमाशा देखिए। आपका काम 5जी की स्पीड से भी ज्यादा तेजी से होगा।
नोट: 1-2 ऑडियो, वीडियो रिकॉर्डिंग जरूर बना लीजिए, उस व्यक्ति के द्वारा गाना बजाने या शोर फैलाने की।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव
मैंने इसी तरह शिकायत पत्र दिया और पहचान न बताने के लिए रिक्वेस्ट कर दिया, यह कहते हुए कि मुझे किसी भी प्रकार की दुश्मनी नहीं चाहिए। अफसर ने अपना खुद का भाई समझते हुए सब कुछ सुलझा दिया। इतने अच्छे ढंग से सुलझाया कि आज शोर करने वाला, शोर न फैला कर, अच्छाई की तरफ़ एक कदम और आगे बढ़ गया है।
मुझे भी ध्वनि प्रदूषण कम कराने का पुण्य मिल गया और जो लोग तकलीफ झेल रहे थे उनकी दुवाएं भी मिली।
एक सीख: हिंसात्मक काम न हों इसीलिए पुलिस व्यवस्था बनाई गई है, उपयोग करने से कतराएं नहीं। इस तरीके के काम जहां हिंसा उत्पन्न हो सकती है या तकलीफ हो सकती है वहां पुलिस को आगे करें और एक अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाएं। जिसका काम उसी को साजे, अन्य करें तो डंडा बाजे।
लीगल एडवाइस quote इन हिंदी
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Bilkul Sahi Kaha apne Apke iss artical se mujhe kaafi jayeda jaankaari prapt hui hai